हेल्लो दोस्तों स्वागत है आपका हमारी एक और SQL Language कि फायदेमंद पोस्ट में। इस पोस्ट में Constraints in SQL in Hindi यानि कि SQL में Constraints क्या होते है और उसके बारे में बोहोत ही आसान तरीके से आपकी सरल भाषा हिन्दी में दर्शाया गया है।
Constraints in SQL in Hindi
Article Type | SQL Language |
Article Category | Computer |
Article Name | SQL में Constraints क्या होते है? |
Article Language | Hindi |
Official Website | shubhampal.co.in |
SQL में Constraints क्या है
Constraints in sql: SQL में constraints कुछ rules और regulations होते हैं जिन्हें tables के columns में values को add करने से पहले satisfy किया जाना चाहिए।
SQL में Constraints का प्रयोग column definition पर extra validations को apply करने के लिए किया जाता है अर्थात constraints एक rule होता है जोकि valid data को store करने के लिए table columns पर apply होते है और users को invalid data को columns में store करने से रोकते हैं।
SQL में columns में create तथा alter command का प्रयोग करके constraints को add कर सकते हैं अर्थात database में table में data को insert करने के लिए कुछ rules प्रयोग होते है इन्हीं rules और regulations को constraints कहा जाता है। Database में मुख्यत: 6 प्रकार के constraints का प्रयोग होता है।
- Primary Key Constraint
- Foreign Key Constraint
- Unique Key Constraint
- Check Constraint
- Default Constraint
- Not Null Constraint
1. Primary Key Constraint
Primary key constraint in sql: Database में सभी tables primary key constraints का प्रयोग जिस भी column में किया जाता है, table के उस column की rows में store की जाने वाली सभी values हमेशा unique होनी चाहिए तथा column के किसी भी block को primary key का प्रयोग करने पर null नहीं छोड़ा जा सकता है अर्थात column के प्रत्येक block में कोई-न-कोई value तो अवश्य ही store होनी चाहिए।
सभी database tables की किसी एक field(column) के साथ में ही हम primary key constraint का प्रयोग कर सकते हैं और सभी tables में primary key field का होना इसलिए जरूरी होता हैं जिससे की उस field के अथवा table के सभी records को uniquely identify किया जा सके।
अर्थात अगर हम database में table को create करते समय table के किसी column में primary key constraints का प्रयोग करना चाहते हैं तो हम table के केवल उसी column में primary key constraint का प्रयोग कर सकते है जिस columns में store की जाने वाली सभी values unique होती है, जैसे- User Id, Serial Number तथा Roll Number इत्यादि।
अगर आप database में दो tables की create करते हैं जिसमें एक parent table हैं और दूसरी उस parent table की एक child table है तब हम database में create की गयी parent table के किसी column में primary key constraint का प्रयोग करते हैं तथा उसी parent table की child table में हम किसी column में foreign key constraint का प्रयोग करते हैं।
जिससे कि हम अपनी parent table के primary key constraint वाले column की मदद से child table के foreign key constraint वाले column द्वारा हम child table के records को आसानी से access कर सकते हैं।
हम parent table के जिस भी column में primary key constraint का प्रयोग करते हैं उसी same name वाले child table के column में ही हम foreign key constraint का प्रयोग करते हैं तभी हम child table के records को primary key constraint सौर foreign key constraint का प्रयोग करके access कर पाते हैं।
Example: अगर हम किसी database table में primary key constraint का प्रयोग करते हैं तब,
create table table_name ( userid int primary key not null, name varchar(100), mobile bigint );
2. Foreign Key Constraint
Foreign key constraint in sql: Database में foreign key constraint का प्रयोग किन्ही दो database tables को किसी एक same specific column के माध्यम से link करने या tables में relation बनाने के लिए किया जाता है।
जब भी हम database में किसी table में foreign key constraint का प्रयोग करते हैं तो उस table का जिसमें हम किसी column में foreign key constraint का प्रयोग कर रहे है, उसका किसी parent table की child table होना जरूरी हैं।
हम foreign key constraints का प्रयोग केवल child tables के column में ही करते हैं अर्थात database में वह table जिसमें foreign key वाला column होता हैं उसे child table कहते है तथा जिस table में उसी foreign key द्वारा refer की गयी primary key वाला column होता है उसे parent table कहा जाता है।
जब भी हम foreign key वाले column वाली tables में records को insert कराते है तब हम केवल उन्हीं records को insert कर सकते हैं जोकि primary key वाले column की values से match कर रहे होते हैं।
अर्थात अगर parent table में primary key column, RollNo नाम का है जिसकी values 1,2,3 है तथा child table में भी RollNo नाम का एक foreign key वाला column है तब हम foreign key वाली table में केवल RollNo 1,2,3 वाले records को ही insert करा सकते है क्योंकि केवल यही records parent table के primary key column से match कर रहें हैं।
Example: माना हमें database में दो tables create करनी हैं, जिनके नाम Students तथा Fees है और इन tables में हमें primary key तथा foreign key constraints का प्रयोग करके दोनों ही tables को link कराना है। इसके लिये सबसे पहले हम एक Students नाम की table को create करेंगे तथा जिसमें हम एक column में primary key constraint का भी प्रयोग करेंगें।
create table Students ( RollNumber int primary key not null, Name varchar(100), Age int );
- Students Table
RollNumber | Name | Age |
---|---|---|
01 | Shubham | 20 |
02 | Rahul | 25 |
03 | Ajay | 30 |
ऊपर दी गयी students table में हमने RollNumber वाली field को primary key field बनाया है। अब हम एक दूसरी Fees नाम की table को create करेंगे तथा जिसमें हम एक column में foreign Key constraint का भी प्रयोग करेंगे।
create table fees ( FeesNumber int identity(10,1), RollNumber int foreign key refrenced Students(Roll Number), Amount int not null, Mode varchar(50) );
- Fees Table
FeesNumber | RollNumber | Amout | Mode |
---|---|---|---|
10 | 01 | 10000 | Online |
11 | 02 | 15000 | Cash |
12 | 03 | 13000 | Online |
ऊपर दी गयी Fees table में RollNumber वाली field को foreign key field बनाया गया है अर्थात यहाँ पर primary key field वाली Students नाम की table एक parent table या referenced table है तथा foreign key field वाली Fees नाम की table एक child table है तथा यह दोनों ही एक दूसरे के साथ में primary key और foreign key द्वारा एक दूसरे से link हैं तथा हम foreign key के द्वारा आसानी से Fees वाले records को भी Students table के records की तरह ही access कर सकते हैं।
3. Unique Key Constraint
Unique key constraint in sql: Database में table को create करते समय tables के column की unique values को store कराने के लिए unique constraint का प्रयोग किया जाता है।
आप table के केवल उन column में unique constraint का प्रयोग कर सकते हैं जिन columns को primary key column नहीं बनाया गया है। हालांकि primary key तथा unique key दोनों ही constraints का प्रयोग columns में unique records को store करने के लिए किया जाता है।
Table में हम primary key वाले column में null values नहीं store करा सकते है जबकि table के column में unique key constraint का प्रयोग करने पर हम column में null values को भी store करा सकते है लेकिन unique key column में store होने वाली सभी values unique होनी चाहिए।
Example: SQL में Unique Key Constraint का प्रयोग निम्न प्रकार से किया जाता है।
create table table_name ( StudentID int not null unique, Name varchar(50), Mobile bigint );
यहाँ पर StudentID column में unique key constraint का प्रयोग किया गया है।
4. Check Constraint
Check key constraint in sql: Database में tables में check constraint का प्रयोग किसी column में एक specific condition के आधार पर values को insert कराने के लिए किया जाता है।
अर्थात् किसी table के column में check constraint का प्रयोग करके किसी column में insert की जाने वाली values पर condition के आधार पर एक limit set कर दी जाती है और जब भी कोई new value insert की जाती है तो पहले तो condition check होती है और जब condition true होती है तभी वह value column में store की जाती है।
Example: मान लीजिए कि एक students नाम की database में table create की गयी है जिसमें तीन columns – RollNumber, Name तथा Age को add किया गया है तथा Age वाले column पर check constraint का प्रयोग करके एक condition लगायी गयी है।
create table students ( RollNumber int not null primary key, Name varchar(100) not null, Age int check(Age>18) );
दी गयी table के Age column पर check constraint का प्रयोग हुआ है।
5. Default Constraint
Default key constraint in sql: Database में tables में किसी भी columns में default values को insert कराने के लिए default constraint का प्रयोग किया जाता है अर्थात जब भी आप database में table के किसी column में values insert किये बिना ही उसे छोड़ देते है तब अगर आपने उस column में default constraint का प्रयोग किया है तो आपने default constraint के साथ में जो default value दी होगी वही default value उस खाली छोड़े गये columns के सभी blocks में अपनेआप insert हो जाती है।
Example: मान लीजिए की Database में एक fees नाम की table को create किया गया है तथा जिसमें Serial No, Amount तथा Mode कुल तीन fields को add किया गया है, तब हम इस table के mode column के साथ में default constraint का प्रयोग करेंगे जिससे अगर table में values insert कराते समय अगर आप mode column में कोई value insert नहीं करेंगे तो default value insert हो जाएँगी।
create table fees ( SerialNo int not null primary key, Amount int not null, Mode varchar(50) default 'Cash' );
6. Not Null Constraint
Not null constraint in sql: Database में tables में not null constraint का प्रयोग उस column में किया जाता है जिसमें आप चाहते हैं कि वह column खाली न रहे बल्कि उसमें सभी values store हों।
अर्थात अगर आप database में table में किसी column को create करते समय not null constraint का प्रयोग करते हैं तब उस table के उस column को जिसमें आपने not null constraint का प्रयोग किया है, उसे blank नहीं छोड़ सकते है आपको उसमें कोई-न-कोई value तो अवश्य ही insert करनी होगी उसके बाद ही आप उस table में अन्य new records को insert करा पायेंगे या फिर pre-existing records को update कर पायेंगे।
अगर आप किसी column में not null constraint का प्रयोग करते हैं तो जाहिर सी बात है कि आप उस column में कोई भी null value को insert नहीं करा सकते हैं।
Example: SQL में Not Null Constraint का प्रयोग निम्न प्रकार से किया जाता है।
create table table_name ( RollNo int primary key not null, Name varchar(50) not null, Age int check(Age>21), Mobile bigint not null );
निष्कर्ष – Constraints in SQL
दोस्तों मैं उम्मीद करता हूँ कि मैंने इस पोस्ट के माध्यम से आपको Constraints in SQL in Hindi यानि कि SQL में Constraints क्या होते है और उसके बारे में बताया है उसे आप बोहोत ही आसानी से समझ गए होंगे गए होंगे क्यूंकि मैंने इस पोस्ट के माध्यम से आपको बोहोत ही आसानी से यह समझाने का पूर्णतः प्रयास किया है कि आप कैसे SQL में Constraints का प्रयोग कर सकते है।
पोस्ट को पूरा पढने के लिए धन्यवाद ! अगर आपका इस पोस्ट से सम्बन्धित कोई भी प्रश्न है तो आप नीचे कमेंट करके पूंछ सकते है।
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Shubham Pal (शुभम पाल) एक Digital Creator है जिसका हिन्दी ब्लॉग shubhampal.co.in है | इस ब्लॉग पर आपको टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर से सम्बंधित बोहत सारी चीजो के बारे में बोहोत ही सरल भाषा में सीखने को मिलता है इसके साथ-साथ हमारे इस हिंदी ब्लॉग पर आपको YouTube , Blogging , Affiliate Marketing और ऑनलाइन पैसा कमाने के बोहोत सारे तरीको के बारे में भी जानने और सीखने को मिलता है |